Saturday, December 14, 2013

मुफ्त इलाज अर्थात हस्त-मुद्रा चिकित्सा संकलन : मिलिंद ज. काले

आइये अब हम विभिन्न मुद्राओं को समझें, उन्हें करने का तरीका सीखें, उनसे किस रोग में क्या लाभ होता है और किस रोग में वे कारगर हैं ये जानेंl
साधारणतया एक ध्यान में रखने लायक बात यह है कि :-
१ सूर्य तत्व की अंगुली के उपरी पोर से अन्य अँगुलियों के पोरों के आपस में स्पर्श करने पर उस तत्व की वृद्धि होती है और वह अपने सम प्रमाण तक पहुंचता है
२. अग्नि तत्व वाले अंगूठे से अन्य तत्व वाली अंगुलियों पर दबाव देने पर उस तत्व में कमी आती हैl
३.अंगूठे को किसी अंगुली के मूल में स्पर्श करने से उस तत्व में कमी आती हैl  
४. रोग ठीक होने पर मुद्रा करना बंद कर देंl   
१. ज्ञान मुद्रा
 मस्तिष्क और मानसिक रोगों संबंधी हस्त मुद्रा
यह एक महत्वपूर्ण मुद्रा हैl मस्तिष्क और स्नायुसंस्थान पर इस मुद्रा का विलक्षण परिणाम होता हैl दिमाग से संबंधित रोगों पर यह मुद्रा रामबाण की तरह काम करती हैl सामान्य रूप से ध्यानासन में यह मुद्रा की जाती हैl
मुद्रा की विधि :-  अंगूठे के और उसके पास वाली अंगुली अर्थात तर्जनी के सिरों को एकसाथ आपस में हलके दबाव के साथ मिलायेंl बाकी अंगुलियाँ सीधी रखेंl मुद्रा दोनों हाथों से करेंl चित्र देखेंl
मुद्रा का विज्ञान :- अंगूठा अग्नितत्व को और तर्जनी वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैंl शास्त्रों के अनुसार बुद्धि का निर्माण अग्नितत्व से और मन का निर्माण वायु तत्व से हुआ हैl
मुद्रा के लाभ :-
१.      दिमाग  या मस्तिष्क तरोताजा होता हैl इस मुद्रा को नियमित करने से मस्तिष्क से जुडी अनेक बीमारियों दूर होती हैंl भूख प्यास संबंधी अनियमितताएं ठीक होती हैंl
२.      मन शांत होता है l मन की एकाग्रता बढ़ती हैl  तनाव समाप्त होता हैl
३.       मानसिक रोगियों को इस मुद्रा को करने से बहुत विलक्षण और आश्चर्यजनक लाभ होता हैl विक्षिप्तता, विस्मरण या भूलने की आदत, अनिद्रा, उन्माद, हिस्टेरिया, चंचलता, चिडचिडापन आदि विकारों में कुछ ही दिनों में असर दिखाई देता हैl
४.      छोटे बच्चों में नाखून कुतरने की आदत, हाथों की अँगुलियों को चलाते रहते की आदत या पैर हिलाते रहने की आदत आदि से इस मुद्रा को करने से छुटकारा पाया जा सकता हैl
५.      स्मरणशक्ति तीव्र होती है, उसका विकास होता हैl ज्ञानमुद्रा के अभ्यास से अच्छी और शांत नींद आती हैl नींद की गोलियों की आदत से ज्ञान मुद्रा के अभ्यास से छुटकारा पाया जा सकता हैl
२. वायु मुद्रा
वात विकार संबंधी हस्त मुद्रा 
इस मुद्रा को करने से वायुतत्व पर नियंत्रण किया जा सकता हैl वातविकार और वायु के कारण होने वाले विकार वायु मुद्रा से ठीक होते हैl वायु मुद्रा के बाद थोड़ी देर प्राण मुद्रा करने से वायु मुद्रा करने से होने वाले लाभ जल्दी प्राप्त होते हैंl
मुद्रा की विधि : - अंगूठे के पास वाली अंगुली याने तर्जनी को झुका कर अंगूठे के मूल स्थान से मिलायेंl इस खुकी हुई तर्जनी को अंगूठे से हमका दबाव देंl बाकी तीन अंगुलियाँ सीधी रखेंl
मुद्रा का विज्ञान : -  अंगूठा अर्थात अग्नितत्व से तर्जनी अर्थात वायुतत्व पर दबाव दिया जाता हैl वायुतत्व में कमी आती हैl
मुद्रा के लाभ :-
१.      संधिवात  ठीक होता है l गठिया रोग में लाभ कारी हैl
२.      जोड़ों का दर्द, घुटनों का दर्द, कमर का दर्द, पीठ का दर्द ठीक होता हैl
३.      कम्पवात, पेरेलेसिस, पार्किन्सन जैसे रोगों में आश्चर्यजनक लाभ होता हैl पेरेलेसिस होने पर हर दो घंटों में कम से कम पैंतालिस मिनिट यह मुद्रा अवश्य करेंl एक ही दिन में लाभ अनुभव में आता हैl
४.      चेहरा टेढा होना, गर्दन अकडने पर यह मुद्रा गुणकारी हैl 
                   आकाश मुद्रा
ह्रदय के रोगों पर उपयोगी
इस मुद्रा को करने से शरीर में आकाश तत्व की कमी के कारण होने वाले रोगों का निदान होता हैl इससे ह्रदय, मन और शरीर की कमजोरी दूर होती है और शरीर में नयी चेतना जागती हैl
मुद्रा की विधि : - बीच की अंगुली या मध्यमा और अंगूठे को आपस में मिलायें और हल्का दबाव देंl अन्य अँगुलियों को सीधा रखेंl
मुद्रा का विज्ञान : -  अग्नितत्व (अंगूठा) और आकाश तत्व (मध्यमा) का आपस में स्पर्श होता हैl आकाश तत्व को बढाता हैl उच्चारण स्पष्ट होता हैl
मुद्रा के लाभ :-
१.      ह्रदय रोगियों को बहुत लाभ होता हैl
२.      हड्डियों की कमजोरी को ठीक करता हैl
३ उबासी देते समय या खाते समय  मुंह का जबड़ा फंस जाने पर मध्यमा और अंगूठे से चुटकी   बजाने से जबड़ा फ़ौरन बंद होगा ऐसा अनुभव हैl

(क्रमश:)  

1 comment:

  1. बहुत बढ़िया जानकारी के साथ उपयोगी प्रस्तुति के लिए धन्यवाद

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